आइल बसंत, बसंत रितु आइल ।
अँगना में मोर पिया, चान मुसुकाइल ।।
कलि-कलि चिटकलि महकली बगिया,
कसमस देहिया, मसके अंगिया,
दिन-दिन मोर रंगवा पीयराइल ।
आइल बसंत, बसंत रितु आइल ।।
बउरल आम, बउराइल रे कोइलिया,
बिरहा के अगिया, जगावेरे कोइलिया,
ताकि-ताकि रहिया, अँखिया सेराइल ।
आइल बसंत, वसंत रितु आइल ।।
दिन बीते साँझ होत, रतिया से भोरवा,
झूठे झूठ कागा बोले भोरे मुंडेरवा,
पिया नाही आइल, मन बउराइल ।
आइल बसंत, बसंत रितु आइल ।।
वन - वन भौरा, फुलवाँ की कोरवाँ,
मस्त बेयार बहे, मारे झकझोरुआ,
पातर देहिया, मोर लहराइल ।
आइछ बसंत, बसंत रितु आइल ।।
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