नजरिया के बतिया नजरिया से कही द - दिनेश ' भ्रमर ' | Najariya ke Batiya Nazariya Se Kahi Da - Dinesh ' Bhramar '

रुवाई
मन के बछरू छटक गइल कइसे, 
नयन - गगरी ढरक गइल कइसे। 
हम ना कहनी कुछ बयरिया से, 
उनके अँचरा सरक गइल कइसे ।

गजल
नजरिया के बतिया नजरिया से कहि द । 
ना चमके सोनहुला किनरिया से कहि द ।। 
नयन में सवनवाँ बनल बाटे पाहुन, 
सनेसवा जमुनिया बदरिया से कहि द । 
लिलारे चनरमा के टिकुली बा चम- चम, 
लुका जाय कतहूँ अन्हरिया से कहि द । 
न आवेले सब दिन सुहागिन ई रतिया, 
तनी कोहनाइल उमरिया से कहि द । 
नयन के पाखरिया भइल बाटे लब लब, 
न छलके भरलकी गगरिया से कहि द ।

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