बस में न देहिया, न बस में परनवाँ - राजेन्द्र प्रसाद अष्ठाना 'मधुकर' l Bas Mein Na Dehiya, Na Bas Mein Paranwa - Rajendra Prasad Ashthana 'Madhukar'

सुघिया के घिव परे, जरे मोर मनवाँ,
रात दिन बेधेला पिरितिया के बनवाँ!

काटे के दौरेला घरवा अँगनवाँ 
बोलिया बोलेला देखि सगरो जमनवाँ
ठारि अन्हरिया नजर के समनवाँ!

दुनिया त रूसल सजनवाँ मनावे
धरती अकसवा के देखि-देखि गावं
जीयरा से चले नाहीं कवनो बहनवाँ 

कसकि कसकि उठे सेजरिया 
जहरे के तिरिया चलावेले अँजोरिया 
सच नाहीं होला कबहुं एको सपानबाँ !

तुलसी के दिया बारी सरजू मनाई 
सारी - सारी रतिया पिया के गुहराई 

बस में ना देहिया न बस में परनवाँ !
रात दिन बेधेला पिरितिया के बनवाँ !

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