हमनी का गाँव सुधार करीं, तूँ मजा करऽ रजधानी में।
तूँ लेके बोट हमनिये से, बँगला मे जा बइठ बड़का,
हमरा मड़ई छावे खातिर, कंट्रोल करऽ मुँजवानी में।
तोहरा मिलल आजादी के रस, हरिअर भइल बुढ़ापा बा,
हमनी का जियते मुरदा अस लउकींजा भरल जवानी में।
हम देखत-देखत राम राज के सपना फेरू से सुति गइलीं
राम राज भोगत सब केहुये बा तहम खनदानी में।
तोहरा हलुआ पचते नइखे, फुलुकी से चहू चिल्हिकत बा
हमरा घर मुसरी दण्ड करे अब दूनो जून चुहानी में।
तोहरा अंडा के बजका पर, असली घी के फोरन होता,
हमरा के पाँच छँटाक मिले राशन अब आठ परानी में।
साधन बिनु अपना पैरन पर उपदेश खड़ा होखे के द
बरियार बरारी तू मार बिचु जाल लगवले पानी में।