आजु मोरे भरिभरि आवेला नयनवाँ।
जेकरा के अँखिया का रहिया बोलवलीं,
मन का महलिया में जेके बइठवलीं;
जेकरा खातिर कइलीं दुनिया उजाड़ ऊहो,
निंदिया का संगे-संगे भइल सपनबाँ।
जेकरा के अँखिया का रहिया बोलवलीं,
मन का महलिया में जेके बइठवलीं;
जेकरा खातिर कइलीं दुनिया उजाड़ ऊहो,
निंदिया का संगे-संगे भइल सपनबाँ।
टूटि-टूटि गिरत बा साध के कगरवा,
आसरा के नइया बाटे बिन पतवरवा;
आह का बयरिया के खाई के थपेड़वा,
डोलेला लहरिया के साथे-साथे मतयाँ।
हँसत बसन्त गइले रोइ-रोइ रतिया,
दिन इठलाइ, गइली सिसकति रतिया;
एहि तरे जिनगी का रहिया के मोड़ पर,
रूप में ठगाइ रूकि गइल चरनवाँ।
बिरह के दीप प्रान बतिया बनवली,
सुधि का अँगनवाँ में दियना जरवलीं;
गइले अनेक जुग एहि रे असरवा में,
मिलन के पतिया जुड़इहें परनवाँ।
कई रे जनमवाँ के लेइके सनेहिया,
चलत-चलत थाकि बइठलि देहिया;
उमड़ेला माया के चिकल सिन्धु बिचवा में;
हम एह पार, ओह पार बा सजवनाँ ।
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भोजपुरी कविता