सरस्वती वन्दना - रामविचार पाण्डेय | Saraswati Vandana - Ramvichar Pandey

बालमिकि डाकू रहले, तोहरी कृपा से मइया !
अचके में भारत के आदि कवि भइले !
काली कालीदास भइले, जोलहो कबीर दास,
आन्हरो भेभर सूर सूरदास भईले !

तुलसी के कवन बखान करीं सुरसती !
केतने धमइयो तुलसी होइ गइले !
बुद्धि के विमल करऽ तोही दुआरे आजु,
भोजपुरी लोग सभ भीख माँगे अइले !




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