जबले सनेहिया बा - जगदीश ओझा | Jabale Sanehiya Ba - Jagdish Ojha

ना जाने जे अँखिया में
केतना ले लोर बा.

प्यारी प्यारी अँखिया में
कारी कारी पूतरी हो
पलक का खोता जइसे
झाँकेली कबूतरी हो

जतने छलके भरि-भरि आवे ओतने
ना जाने नयनवाँ में केतना हिलोर बा

नन्हीं मुटी' जियरा के
केतने अहेरिया हो
करेले अहेरिया जे
दिन दुपहरिया हो

सहत-सहत वार थाकेली जिनिगिया
ना जानें करेजवा में केतना मरोर बा

ठेसिया चेतावे मनवा
छोड़े नाहीं बनिया' हो
बुधिया में अगिया
लगावे ली जवनिया हो

जाये के पुरुव, खींचि पछिम चलावेली
ना जाने जवनिया में केतना ले जोर बा

जोहत जोहत बटिया
दिनवाँ सिरइले हो
पीयत पीयत रस
मन ना अघइले हो

ना जाने मिलनवाँ के राति बाड़ी केतना 
ना जाने विर‌ह्वा के केतना ले भोर बा

चनवा सुरुज कवनो
कमवा ना अइहें हो
जहिया ए जियरा के
दियरा बुतडहैं हो

जवे ले ई देहिया बा, तबेले बटोर 
बा जवेले सनेहिया वा तवेले अंजोर बा


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