आधी आधी रतिया में
गत्ते गत्ते मनवा कऽ रहि रहि डोले जब बयार
सुधिया के अगना में लुकि छिपि सिहकेला
जाने काहे केहू कऽ पियार,
नन्हकी पुतरियन में गंग जमुनि धावें
भेंटे के भरि अँकवार,
बन्द एहि पिंजरवा में आकुल परान होलें
उड़ि जाए खातिर ओही पार
ढ़हि ढि़मिलाई जाले आस कऽ मड़इया
सपना के मिले ना किनार
चाना के चननियाँ से सुग बुग हिया होखे
झनके जब नेंहिया कऽ तार
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प्रेम