बेइला फुलै आधी रात हो, पिया कहवाँ बिलमि गै ।
कासे कहौं मन के बात हो, पिया कहवाँ बिलमि गै ।
पुरुबे से अइलें मयन ललछहियाँ
गावै लागी बिंदिया, हँसै लागि बहियाँ
कजरा त पुछते लजात हो, पिया कहवाँ बिलमि गै ।
मोरी बँसवरिया जोगिनियाँ के डेरा
बैरिनि पपिनियाँ ऊ बान्हेले घेरा
एकला त जियवा डरात हो, पिया कहवाँ बिलमि गै।
बाग बगइचे चुकचुहिया बोले
रहि रहि मनके गँठिया खोले
जियरा के घउवा पिरात हो, पिया कहवाँ बिलमि गै ।
टहकि अँजोरिया मारेइ बिख बनवाँ
ढरकि ढरकि बाजू भइलें कँगनवाँ
अँगुरी बिजुरिया सिहात हो, पिया कहवाँ बिलमि गै ।
रखले झुराइ गइलें हथवा के पनवाँ
तलफि तलफि उठे अल्हर परनवाँ
रचिको ना किछऊ सोहात हो, पिया कहवाँ बिलमि गै ।
अइलीँ महुवा बारी से मतली बयरिया
महुवा के सँगे सँगे देली चटकरिया
लरजि लरजि ललचात हो, पिया कहवाँ बिलमि नै ।
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प्रेम