अपना देश के रछेया से
बढ़ के कवनों धरम इहाँ ना
एकरा लागी जान गँववला से
बढ़के वा करम इहाँ ना
स्वतंत्र रहे बेकती धरती के
एहसे बढ़के मरम इहाँ ना
जीअते आपन सपना हो जा
एहसे बढ़के सरम इहाँ ना
पराधीन होके जीअला से
बढ़ के कवनो दरद इहाँ ना
हक के खातिर जान गवाँवे
ओह से बढ़के मरद इहाँ ना
जान के गाहक बन जाईं
ई छेड़ले वा हमनी शैतान
लीं हिसाब कोड़ी - कौड़ी
ई भले तुरावे पगहा छान
जवले ना आजाद सऊँस
हो जा धरती हावा पानी
तबले बरसऽ बर महल
दुश्मन प बन आन्ही पानी
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देशभक्ति