बहेला पुरवइया - उमाकांत वर्मा | Bahela Purvaiya - Umakant Verma

फहरेला अँचरा बहेला पुरवइया
सिहर जाला राम गात शिशिर के 

मन के कगरिया पै पकरे अँगुरिया 
साथी सुरतिया के छिहुले दरदिया 
टूटि जाला डोरिया मसकि जाला बँदवा 
कसकि जाला राम गात शिशिर के 

भाव पर भाव उठे उठेरे लहरिया 
जइसे सपनवा में चिहुँके गुजरिया 
काजर बसन रत मातल नगिनिया 
उलटि जाला राम गात शिशिर के 

मथवा पै दमकत गिरे जे इँगुरवा 
भरेला उमिरिया के फाटल दरदवा 
देखि-देखि संझिया के सुनर सोहगवा 
सिसकि जाला राम गात शिशर के 

प्रीति आ दरदिया के बतिया पुरानी 
गावत कहेला जग उभरत जवानी 
बन-वन मिटत आ मिट-मिट बनत 
जोगाई जाला राम गात शिशिर के 

पंथ निहारत अँखिया पसारे 
झुकि- झुकि सोचे सखि मनवा मारे 
कबहूँ त सूति जइहें हमरो लहरिया
से जागि जइहें राम प्रात 'शिशिर' के

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