बड़ तूँ धोखा देलू बनिके अनजान सजनी‌ - ‌राजबली दुबे 'तरल' | Bad Tu Dhokha Delu Banike Anjan Sajani - Rajbali Dubey 'Taral'

बड़ तूँ धोखा देलू बनिके अनजान सजनी । 

माटी के मन्दिर में बइठी, खाटी मीठी बोलऽ 
हमके देखि मगन माटी में हँसि-हँसि नयना खोलऽ 
हमके ठगि लिहलू तूँ बनिके मेहमान सजनी ।। बड़ ।। 

एक दिन गये इनारा झाँकइ, देखि परल परछाँईं 
बहुत दूर से हमेइ बोलइलू, छूटलि हमके झाँई 
तोहके हेरत जियरा होइगा हलकान सजनी ।। बड़ ।॥ 

दिअना तोहरइ बाती तोहरइ, जरइ तेल सब तोहरइ 
तोहसे लगलि नजरिया तोहरी, कइसे कोसइ कोहरइ 
नहकइ विचवइ कइलू ह़मके वेइमान सजनी ।। बड़ ।। 

बेसहइ बदे बजार लगउलू सरग नरक कइ सीढ़ी 
अइसन कइलू मोल कि बूड़त जात बा सारी पीढ़ी 
कइलू कोटिउ ना अरजिया पै कान सजनी ।। बड़ ।। 

'तरल' कहइँ ठगहारी तोहके सोहइ नाहीं गोरी 
हमके नजर लगइलू उलटइ हमहीं तोहइ अगोरी 
तलफइ भूँजत मछरी जइसन अबतऽ जानऽ सजनी । 
बड़ तूँ धोखा देलू बनिके अनजान सजनी ।

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