हईं भोजपुरी के रहवइया हम अइसन तईसन का जानीं ।
सब़ सोझा-सोझा जानीला बड़ि बात बनावे का जानीं !
दुइ बात कहल सह जाइले
गाली सुनि के ढल जाइले
मर्दानगी के जब बात पड़ी
तव ताल ठोंक तन जाइले,
मारव चाहे मारल जाइब पर पीठ देखावे ना जानीं !
घी - दूध मिली चाभीं हँटिके
गईया - भैंसी के सानी दीं
जे हमरा के जीवन देला
ओकरा के हमहूँ पानी दीं,
पैमाना छलकावे खातिर हम पेग चढ़ावे का जानीं !
पूड़ी पूआ हलुवा खाके
कोई ले मढ़ल छड़ी जाला
सतुआ-गुड़-नून- अँचार गपक
भोजपुरिया खेतवहिया जाला,
पोरसा भर लाठी भाँजीला, छूरा चमकावे का जानीं !
पहिरन पोशाक सीधा-सादा
ह कड़ू तेल से तन - मर्दन
नित डंड बइठकी लगा-लगा कर लेहीला मुचण्ड गर्दन;
हम कमर-लँगोट लगाईला, ई कंठ लँगोटा का जानी !
गँउवा के राधा - मुँह से सुघर
झूमर, कजरी, सोहर सुनलीं
बदरी के झमाझम नाच देख
रोपनी के गीत - लहर सुनलीं
ठुमके - ठुमरी या छिड़े गजल, कोठा के नजारा का जानीं !
हमरा ह भरोसा बाजू पर
मेहनत के मजूरी माँगीला
औकात जवन आकरे माफिक
हम आपन गोड़ पसारीला;
जाँगर के कमाई ए भइया ! हम घूस कमाए का जानीं !