हईं भोजपुरी के रहवइया - रणविजय बहादुर सिंह | Hain Bhojpuri Ke Rahwaiya - Ranvijay Bahadur Singh

हईं भोजपुरी के रहवइया हम अइसन तईसन का जानीं ।
सब़ सोझा-सोझा जानीला बड़ि बात बनावे का जानीं !

दुइ बात कहल सह जाइले
गाली सुनि के ढल जाइले
मर्दानगी के जब बात पड़ी 
तव ताल ठोंक तन जाइले, 
मारव चाहे मारल जाइब पर पीठ देखावे ना जानीं !

घी - दूध मिली चाभीं हँटिके
 गईया - भैंसी के सानी दीं
जे हमरा के जीवन देला 
ओकरा के हमहूँ पानी दीं, 
पैमाना छलकावे खातिर हम पेग चढ़ावे का जानीं !

पूड़ी पूआ हलुवा खाके 
कोई ले मढ़ल छड़ी जाला 
सतुआ-गुड़-नून- अँचार गपक 
भोजपुरिया खेतवहिया जाला, 
पोरसा भर लाठी भाँजीला, छूरा चमकावे का जानीं !

पहिरन पोशाक सीधा-सादा 
ह कड़ू तेल से तन - मर्दन 
नित डंड बइठकी लगा-लगा कर लेहीला मुचण्ड गर्दन; 
हम कमर-लँगोट लगाईला, ई कंठ लँगोटा का जानी !

गँउवा के राधा - मुँह से सुघर 
झूमर, कजरी, सोहर सुनलीं 
बदरी के झमाझम नाच देख 
रोपनी के गीत - लहर सुनलीं 
ठुमके - ठुमरी या छिड़े गजल, कोठा के नजारा का जानीं !

हमरा ह भरोसा बाजू पर 
मेहनत के मजूरी माँगीला 
औकात जवन आकरे माफिक 
हम आपन गोड़ पसारीला; 
जाँगर के कमाई ए भइया ! हम घूस कमाए का जानीं !

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