फूल मन फुलाइ झाल
लतरि बीच कली हँसल
हवा सनसनाइ बहल
भँवर गुनगुनाइ चलल
एक फूल फुलल कबो, एक फूल झरल !
किरनि जरे राति ढरे
अँखियन ले जोति भरे
झटि बयारि बल्कि कबो
दियना के प्रान हरे
एक दिया जरल कबो, एक दिया बुझल !
भोर के अँजोर भइल
चिरइन के शोर भइल
साँझ भइल दिन बूड़ल
तरइन के जोर भइल
एक बड़ा भरल कबो, एक घड़ा ढरल !
धूरि उड़ल शीश चढ़ल
धरा हिलल ताज गिरल
तिनका असमान चढ़ल
मेघ ढरकि भूईं गिरल
एक सीस उठल कबो, एक सीस झुकल !
प्यार भइल पीर भइल
हँसि के नयन नीर भइल
तीर कबो नदी बनल
नदी सूखि तीर भइल
एक नाव तरल कबो, एक नाव बुड़ल !