मोरी गउरा भइली सेआन - रामविचार पाण्डेय | Mori Gaura Bhaeli Seyaan - Ramvichar Pandey

एक दिन मैना हिमवंत से कहली कि मोरी गउरा भइली सेआन'।
असकति छोड़ी तनी सनगो लगाईं कते हाली देने करीं फलदान ।।
जानी ले नू बेटी हवे दोसरा के थाती 
माई बाप खाली जनमे के हऽ सँघाती
जस जस बेटी बढ़े कसकेले छाती 
दिन नाही भूखि, नींद परेले न राती
हाली-हाली एने-ओने' भेंजी रउरा पाती, अब मोरी गउरा भइली सेआन। 
ऊ देखले बिहाने गउरा अंगना में ठाढ़ी 
पानी का किछार में फूललि जइसे राढ़ी 
देखि हिमवंत खजुआवे लगले दाढ़ी 
बेटी का बिआह की फीकिर मन में बाढ़ी 
अइसना सँकेत से के हमरा के काढ़ी, अब मोरी गउरा भइली सेआन।
जाके दरबारे नाऊ बाभन बोलवले 
सभका के मन के हालत समुझवले 
खरच बरच भरपूर बँटववले 
कइगो वरन के ठेकान बतलवले 
रामविचार पाँड़े विरहा बनवले कि अब गउरा भइली सेआन ।

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