बिधुरल बरवा अँजुरियन महकै
मथवाँ किरिनिया फुलाय ।
गोरिया के मनवाँ पिरीतीअस जागइ
जस धन बाँस अँखुवाय ।।
चइता
सगरे भरइलें खरिहनवाँ, हो रामा,
हमरे सिवनवाँ ।
फूलि - फूलि डह डह भइलै परसवा,
अँजुरी में चाँन थाम्हि हँसेला अकसवा,
सगरे जुड़इलैं परनवाँ, हो रामा,
हमरे सिवनवाँ ।।
सगरे जुड़इलैं परनवाँ, हो रामा,
हमरे सिवनवाँ ।।
कागा बोलि बोलि भोरहरिया जगावै,
बन क चिरइया खतोनवा लगावे,
जागि गइलै सगरे सगुनवाँ हो, रामा,
हमरे सिवनवाँ ।।
चुनि-चुनि पतिया बिदेसवाँ पठावें,
वेर-बेर धना इ सनेसवा लिखावें,
हांफि हांफि दउरै हिरनवाँ, हो रामा,
हमरे सिवनवाँ ।।
जागि गइलै सगरे सगुनवाँ हो, रामा,
हमरे सिवनवाँ ।।
चुनि-चुनि पतिया बिदेसवाँ पठावें,
वेर-बेर धना इ सनेसवा लिखावें,
हांफि हांफि दउरै हिरनवाँ, हो रामा,
हमरे सिवनवाँ ।।
शब्दार्थ
१. चिथुरल = खुला हुआ; २. बरवा = केश; ३. सगरे = सारा; ४. परसवा पलाश; ५. जुड़इले = प्रसन्न हो गए; ६. खतोनवा = घोसला; ७. वना = स्त्री, नायिका।