मइली हो गइली चदरिया, हम का करी ?
हमसे भइलीं ठगहरिया, हम का करी ?
ई दुनिया अजगुत कै मेला देखे खातिर अइलीं ।
रंग-बिरंगी चकमक में हम आपन होश भुलइलीं ।
अगवाँ छ्वलसि अन्हरिया, हम का करी ?
केवनी रसता चलीं तनिको ई हमके ना सूझै ।
गड़हन में गिरली तेवनो पर मनवाँ नाहीं बूझै ।
धोखा खा गइलीं नजरिया, हम का करी ?
मन अरु बचन, करम सब सधलीं एको नाहीं सधाइल ।
केवनी तरह ठेकाने पहुँची रसता मोर भुलाइल ।
भरमवलीं डगरिया, हम का करी ?
बारी सुघर उमिरिया में तूं भेंजलू रतन-बजारी ।
माया क ई जादूगरिनी जोहत रहे दुआरीं ।
बान्ही दीहलसि नजरिया, हम का करीं ?
फरकाँ बइठल माई देखत रहलू तँ नादानी ।
एको बेर अगाह ना कइलू बिगरत रहे जवानी ।
धूमिल हो गइलीं चुनरिया, हम का करीं ?
आपन लेलऽ तँ चदरिया, हम का करीं ?
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प्रार्थना