हुकूमत के हाथी नियर दाँत दूगो
दिखावे के दूसर, चवावे के दूसर
उठल अस अहिंसा के झझकल झकोरा
कि उंड़ गइले आन्ही में लन्दन के गोरा
तऽ सपना सुनहरा में इम त्रस्त रहलीं
आजादी के अचके में बाजल ढिढोरा
खुललि आँखि लउकलि आजादी के झाँकी
गरीबन के दूसर, अमीरन के दूसर
कइल जाता दूसर कहल जाता दूसर
गुनल जाता दूसर मथल जाता दूसर
ई कइसन बा जादू ई कइसन बा टोना
लिखल जाता दूसर पढ़ल जाता दूसर
हुकूमत के मानो दुरुखा दुशाला
तरे रंग दूसर परे रंग दूसर
चलल बाटे अइसन कनूनन के चक्कर
चलत जइसे लइकन के चरखी के चक्कर
बनावे के बीना त बनि जाले बंशी
लगत जाला दिन राति पञ्चर में पञ्चर
न जाने कनूनन के माने वा कइसे
सुतारन में दूसर कुतारन में दूसर
बढ़ति बाटे दिन दिन टिकट के बेमारी
बड़लि जइसे द्वापर में द्रुपदी के सारी
नई जोजना रोजना का बहाने
बनति बाटे बावुन के कोठा अमारी
चलल घूस दू रूप आपन बना के
अँजोरा में दूसर अन्हारा में दूसर
ठगन चोर डाकुन के डुग्गी फिरति बा
न गाँवन में लोगन का अंधी परति बा
उड़ल खाट परसे उड़ल बात उड़ि के
उड़नबाज नेतन के मुँह से झरति बा
नया राज क साज चल चित्र अइसन
नकल में बा दूसर असल में बा दूसर
बढ़ल रोग जस-जस दवाई दियाइलि
रइसी में सगरी कमाई लुटाइलि
बयद ना जब जब अनारी निरेखें
न रोगिन के रोगन के लच्छन चिन्हाइलि
भला तब कवन आसरा जिन्दगी के
दरद बाटे दूसर दवा बाटे दूसर
न कुचलल किसानन के काया जुड़ाइलि
न मसलल मजूरन के मड़ई छवाइलि
न दुखिया गरीबन गवारन का घर में
आजादी के एक्को किरिनि मुसुकराइलि
बुझाता कि बनि गइले भगवान दूगो
हजूरन के दूसर मजूरन के दूसर
आजादी त आइलि मगर दूर दिल्ली
महलिया उड़ावे मड़इयन के खिल्ली
न तन में लँगोटी न घर में वा रोटी
पिसति बाटे कोल्हू में पंजर के तिल्ली
सुने कवन दुखियन के दुख के कहानी
ई सरकार दूसर, जवाहिर ऊ दूसर