के बोए के काटे - चितरंजन | Ke Boye Ke Kaate - Chitranjan

के बोए के काटे भाई रे, के बोए के
के हरवा पैना के संगी 
के कइला मैना के संगी 
के सावन-भादों के संगी 
के माटी कादों के संगी 
के कर सुर में गावे बादर 
कवन मड़इया बाजे माँदर 
के कजरी के टेरु लगावे 
के रतिया के बिरहा गावे 
जब-जब इहवाँ जंग रोपाए 
केकर बेटा मारल जाए
केकरा चन्ना मोहाल जिनिगिया केकर जहमति' बाटे ?

हम हरवा पैना के संगी 
हम कइला मैना के संगी 
हम सावन भादों के संगी 
हम माटी कादो के संगी 
हमरे सुर में गावे बादर 
हमरे मड़ड्या बाजे माँदर
हम कजरी के टेरु लगाई 
हम रतिया के बिरहा गाईं 
हमरे नावँ किसान-मजूर 
रोपीं आम त मिले वचूर 
जब-जब इहह्वां जंग रोपाए 
हमरे बेटा मारल जाए 
हमरे चन्ना मोहाल जिनिगिया हमरे जहमत बाटे।

फिर काहे अतना अनेआव' 
के दोसी के मारल जाव 
कवन कंस इ कवन असुर बा
कवन इ पापौ भस्मासुर बा 
उ सभनी में उच्च गिनाला 
ओकर बतिया मानल जाला 
उइ जिनगी के व्योपारी 
करे जुलूम के ठीकादारी 
इ संभ तहरे वा कमजोरी 
चोर करेला सीनाजोरी 
जाग राम, लखन जी जाग 
अब आलस के नींद तेयाग
सतवंती सीता के अँचरा रावन धइले बाटे ! 
तू बोआ उ काटे भाई रे तू बोअ उ काटे ?

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