पवन खींचे अँचरा - श्रीकृष्ण तिवारी l Pawan Khinche Anchra - Shri Krishna Tiwari

आधी राति उगेला चनरमा हो रामा 
पवन खिंचे अँचरा !

दूर बहे नदिया पियासलि अँखिया
हाँफि - हाँफि उड़े मन खोलि दुनों पँखिया
पलक - अँजुरि भरि मोतिया हो रामा
सपन देला पहरा !

निबिया कि गँछिया प पसरे चननिया
काँट अस चुभे अंग - अंग मे किरिनिया
लिलरा प चमके बिजुरिया हो रामा
मथवाँ प बदरा !

झुरु - झुरु बहे अन्हुआइलि बयरिया 
चिहुँकि - चिहुँकि उठि बोले कोयलरिया
सून लागे अँगना दुअरिया हो रामा
लागे सून असरा !

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