अँजोरिया - श्री जगदीशचन्द्र मिश्र | Anjoria - Shri Jagadishchandra Mishra

 उतरै उपारों से अँजोरिया मोर सिवनियाँ चमकै राम
केकरे बेटवा क रक्खल बा दूध से भरल कटोरा
चानी क चूरन के छोटे भुइयाँ भरि भरि झोरा
नाचै-तलवा पर किरिनियाँ रात रनियाँ गमकै राम
केकर सूखत बाटै सगरौं धोवलि उज्जर खादी
धोबिन कवन अकास से लेइगै बादर चादर लादी
कहवाँ धावै कहवाँ गावै सारी रतिया छीओ राम
कबने पुरुष के खातिर रतिया राति-राति भर जागै
कवने-भागिमान से गोरकी प्रेम क भिखिया—मागै
केकरे खातिर ई तिरियवा सारी रतिया ठमकै राम
धनि ऊ धरती जहवाँ आइ के विरनै अइसन बेला
जेकर हौ वजार ऊ कइसन वैपारी अलबेला

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