बाजे ले बँसुरिया - श्री सत्यनारायण केसरी 'सौरभ' | Baaje Le Bansuria - Shri Satyanarayaṇa Kesari 'Saurabh'

 बनवा फगुनवा के बाजे बँसुरिया ।।

अमवा मोजरवा के खोंसले कलंगिया ।
सेमर के फूल लाल, सखिया के अँगिया ।।
गेनवा अनार कचनार नौरंगिया ।
बनवा फगुनवा के बाजे बँसुरिया ।।

गोड़वा में घुघुरु बा कुलवा के धूरिया ।
पँखिया का ओढ़नी में सजली पतुरिया।।
मखमल प चम चम, जरी घवरेया ।
फूले-फूले छम छम, नाचे तितिलिया ।।

बनवा फगुनवा के बाजे बँसुरिया ।।

अपने सुगन्धवा, मिरिगि कस्तूरिया ।
अपने सरूपवा, लोभाईल उ गोरिया ।।
करेली सींगार, बाजे रुनु झुनु चुरिया ।
बार बार दरपन में, देखे बंदुलिया ।।

बनवा फगुनवा के बाजे बँसुरिया ।।

होरी के तान सुने, झूम उठे दुनिया ।
राधा-राधा बोले, वैवँसुरिया के धूनिया ।।
बँसवा के वँसुरी में, सुरवा के दुनिया ।
राधाजी का नमवे प अँटके अँगुरिया ।।

बनवा फगुनवा के बाजेले बँसुरिया ।।

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