गरे में डाल के किरनन कै हार भिनसहरे
ऊ रोज आवेलें गंगा के पार भिनसहरे
परान दिहले भी केहू खरीद नाहीं सकत
लगेला सुन्नरियन कै बजार भिनसहरे
सुरुज की आड़ से निसदिन ई ताक-झाँक ताहार
घरे से हमके लियावलाऽ यार भिनसहरे
सरीर घाट पै डोलेला नाव की नाई
रहेला मौज में जियरा हमार भिनसहरे
चमक चमक के लहरिया उठेला गंगा में
ठुमुक - ठुमुक के चलेले - बयार भिनसहरे
अन्हेरिया देख के अँखियन से तोर उजयरिया
तोरे दुवारे पटकलस कपार - भिनसहरे
तूं ई बतावऽ कि रतिया कहाँ बितावऽ लऽ
देखाई देला सुरतिया तोहार भिनसहरे
जो सुनलीं ध्यान से मनवा हमार झूम गैल
लहर - लहर न बजउलेस सितार भिनसहरे
सुनीला हम भी - कि - निपटै - बदै
'नजीर' आवऽ लै गंगा के पार भिनसहरे
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भोजपुरी कविता