तीन मुक्तक - श्री मुख्तार सिंह दीक्षित | Teen Muktak - Shri Mukhtar Singh Dixit

जवानी क इ पानी बा चढ़ल उतर जाई
उमिर क चान बस चउथा पहर में ढर जाई
कि जिनगी एक दिन पहुँची पड़ाव पर अपने
उहाँ हर साँस जाके एक दम ठहर जाई

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केहू से मन क बात बतावल ना जाला
सपनों में आपन भरम गँवावल ना जाला
जेवने में जाके पड़े दर्द क—परछाई
दिल क शीशा केहू के देखावल ना जाला

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जिनगी में भारी भूल कबों जब हो जाला
झटपट परान पर पीर आइके सो जाला
सुखवा क दिनवाँ बस सपना अस उड़िजाला
दुखवा क रतिया तब पहाड़ अस हो जाला 

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