आपन लेलऽ तँ चदरिया - उदय नारायण सिंह 'उदय' | Udai Narayan Singh 'Udai'

मइली हो गइली चदरिया, हम का करी ? हमसे भइलीं ठगहरिया, हम का करी ? ई दुनिया अजगुत कै मेला देखे खातिर अइलीं । रंग-बिरंगी चकमक में हम आपन होश भुलइलीं । अगवाँ छ्वलसि अन्हरिया, हम का करी ?  केवनी…

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बहेला पुरवइया - उमाकांत वर्मा | Bahela Purvaiya - Umakant Verma

फहरेला अँचरा बहेला पुरवइया सिहर जाला राम गात शिशिर के  मन के कगरिया पै पकरे अँगुरिया  साथी सुरतिया के छिहुले दरदिया  टूटि जाला डोरिया मसकि जाला बँदवा  कसकि जाला राम गात शिशिर के  भाव पर भाव…

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अपना देश के रछेया से - रामायण सिंह | Apne Desh ke Racheya Se - Ramayan Singh

अपना देश के रछेया से  बढ़ के कवनों धरम इहाँ ना  एकरा लागी जान गँववला से  बढ़के वा करम इहाँ ना  स्वतंत्र रहे बेकती धरती के  एहसे बढ़के मरम इहाँ ना  जीअते आपन सपना हो जा  एहसे बढ़के सरम इहाँ …

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नजरिया के बतिया नजरिया से कही द - दिनेश ' भ्रमर ' | Najariya ke Batiya Nazariya Se Kahi Da - Dinesh ' Bhramar '

रुवाई मन के बछरू छटक गइल कइसे,  नयन - गगरी ढरक गइल कइसे।  हम ना कहनी कुछ बयरिया से,  उनके अँचरा सरक गइल कइसे । गजल नजरिया के बतिया नजरिया से कहि द ।  ना चमके सोनहुला किनरिया से कहि द ।।  नय…

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बसंत रितु आइल - राहगीर | Basant Ritu Aail - Raahgir

आइल बसंत, बसंत रितु आइल ।  अँगना में मोर पिया, चान मुसुकाइल ।।  कलि-कलि चिटकलि महकली बगिया,  कसमस देहिया, मसके अंगिया,  दिन-दिन मोर रंगवा पीयराइल ।  आइल बसंत, बसंत रितु आइल ।। बउरल आम, बउरा…

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पीयर पीयर पीयरी में - मंगल मूर्ति 'मानव' | Mangal Murti 'Manav'

पीयर पीयर पीयरी में सजेली बहुरिया  जैसे नित खिलई कनइल क फूल  सुघर सुहाग रंग सजेला सलूका मोर  मन में लजाइ जाला - सेमरे क फूल बिंदिया हमार हउवइ सुरुज सलेहरी  कि जेसे सजना क मन उजियार सगरा क ल…

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ऐ बुढ़िया नानी - महेंद्र शास्त्री | Budhiya Nani - Mahendra Shastri

ऐ बुढ़िया नानी, अबहुँ बात मानीं । जाँत जाँत में पिसा-पिसा के मुअले बहुत परानी,  अक्किल बुध से काम होखो छोड़ीं कुल्ही कहानी ।  ऊ चलिया अब चले ना पाई रोई चाहे कानी,  दुनिया एक बनी, बन गइल कूद…

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