हरना के हरनी संगे चकवा के चकई संगे सारस साथ सारसी कपोत कपोतनी के नाचल खेलल खुनल है सलमेलि आ आपन भी तौ हंसै कुछ ओही नदी के हिलोर में नहात संगे सीता के लखन जब सिकार रहले खेलत दूर वन में ते सफेद धार नदी के लहरि में बहते जब रहे लहरत तवना पर रहे छहरल करिय…